Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नया इतिहास

 

नया इतिहास


दूर भविष्यत के पट पर लिखा हुआ
है जो वाक्य , उस पर करो विश्वास
प्राण चेतना के जल में, रूप- रस-गंध
पूर्ण कमल-सा खिला है जो मानव का मन
जिसका अभी पशु से नृशंस है स्वभाव
देखना लोक क्षेम संवर्धन हित,एक दिन
बदलेगा वह तब ,फ़िर से लिखा जायगा
धरा मानव का नया इतिहास

जिसका एक भी पृष्ठ दग्ध मलिन नहीं होगा
केवल होगा सुधामय कोष और कलम उगली आग
कुलीनता का टीका लगाकर परिचय देने वाले को
कोई जगह नहीं मिलेगी , बल्कि
जिसके सिर पर पुरखों का छत्र नहीं है जो
चट्टानों के बीच साँप सा बनाया अपनी राह
उसका स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायगा इतिहास

भगत सिंह ,खुदीराम, सुभाष- गांधी और आज़ाद
जिसके बल- बिक्रम- साहस के करतब पर
दुनिया बलि जाती , शीश झुकाता आकाश
जिसने लहू की नदी पारकर,हिन्द को कराया आजाद
उसके परिचय बिना , अधूरा होगा हमारा इतिहास





जिनके जीवन भर के त्याग की बातों पर
कर दृक्पात, कलेजा मुँह को आ जाता
बाँहों में बिजली दौड़ जाती, मन के
ऊँचे भाव से तन में शक्ति होती अपार

जिसने कहा, समय माँगता मूल्य
मुक्ति का , देश माँगती आज़ादी
बोलो कौन देगा अपना लहू बदन का
कौन देगा काटकर कलेजे की बोटी

जो अपनी बाँहों में आकाश कस सकता
जिसके गर्जन के कम्पन से
दुश्मनों के हाथों से गिर जाता तलवार
जिस यमुना के जल में अंकित था
हमारे वीरों की वीरता की कहानी
कैसे मैली हुई वह , उसकी भी
होगी बात ,ऐसा होगा नया इतिहास


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