Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तू जो न मिली

 

तू  जो  न  मिली,  तो  हम  मर  जायेंगे
मरके भी जी न लगा ,तब किधर जायेंगे

शम-अ1 की तरह रात कटती है शूली पर
’आशना’2 कोई नहीं ; किसके घर जायेंगे

मरना ही है तो कज़ा3 से पूछना क्या
हम मरके यहाँ से किस कदर जायेंगे

दिन- रात छाती जलती है मुहब्बत में
जो दवा न मिली तो जहर खायेंगे

जो मिल जाये,उसकी शोख नजरों का इशारा
पल दो पल क्या, हम रात ठहर जायेंगे


1. रोशनी 2. पहचाना 3. मृत्यु


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