Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम क्या खफ़ा हुए

 


तुम क्या खफ़ा हुए, जमाना खफ़ा हुआ

गलत क्या हुआ, जो तुमसा दूसरा पैदा हुआ


अदम1 तक चर्चा गई तुम्हारी बेवफ़ाई की, तुम कहती

मालूम नहीं, कब जमीं से आसमां ज़ुदा हुआ


शम-अ बुझती है तो धुआं उठता है, तुम्हारी नजर में

जो शोला-ए-इश्क2 सियाहपोश3 न हुआ, तो क्या हुआ


हम भी जले हुओं में हैं ख़ुदा, हमसे दाग-ए-नातमामी4

की बात न पूछना, जो मैं दुनिया से रिहा हुआ


खाक में मिल गई, नामूसे-पैमाने-मोहब्बत5, दुनिया

से उठ गई राहो-रश्मे-यारी, तू कहता, तो क्या हुआ


1.परलोक 2. प्यार की आग 3.सांवला 4. कभी

समाप्त न होनेवाला दाग 5. प्रेम की प्रतिग्या की प्रतिष्ठा

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