दिले बेताब को जुल्फ़ों में उलझाया न करो
यूँ इश्क की आग को सुलगाया न करो
आता नहीं पलट के जमाना शबाब का, जोशे-
इश्कमें वादा-ए-मर्द को आजमाया न करो
खुदअपना फ़ैसला, कभी-कभी घातक है होता
तुम राह में दोपट्टे को सीने से सरकाया न करो
लहर उठने के पहले सौंप दो सफ़ीना-ए-हयात
मेरे हाथों में,तुम दिल पे अब्रे-गम लाया न करो
हाले दिल बेताब जो कहा जाये तो हमसे कहो
किसी गैर से राजे - दिल बताया न करो
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