कहते हैं मेरे दोस्त, मेरा सूरते हाल देखकर
कर ले न ख़ुदा तुझको याद, तू ख़ुदा को याद कर
आदमी खाक का ढ़ेर है, वादे-फ़ना1 कुछ भी नहीं
मौत का सजदा2 हो, मौत से न कोई फ़रियाद कर
तेरी सूरत से जो हो किसी को इंकार, तो रहने दे
खुद को जर्रा समझकर उसकी राह में ना बर्बाद कर
बू-ए-गुल दीवारें–गुलिस्तां को फ़ाँदकर आती है, तकदीर
के काज़ी का फ़तवा है, किस्मत से न फ़साद कर
तू शाखे-ताक3 है, कैदे-मौसम4 से आजाद अपनी
तबीयत से, तू किसी वीरां को आबाद कर
1.मृत्युपरांत 2. स्वागत 3.अंगूर की डाल
4.मौसम का गुलाम
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