कर याद अपनी बेवफ़ाई, नींद उड़ जाती है
कभी दिल खाली, कभी छाती भर आती है
शिकवा है वक्त से, तुमसे कुछ गिला नहीं है
अपनी बदगुमानी में, दिल की तबाही नजर आती है
धुआँ - धुआँ सा दीखता है मुहब्बत- नगर, ये
आग किसने लगाई, किसकी सूरत नजर आती है
ठहर-ठहर कर किस्मत ने हमको जलाया, एक बार
फ़ूँक देने में उसे बुराई कहाँ नजर आती है
मिटता नहीं कभी नविश्ता-ए-किस्मत1 देखकर, नौबहारी में
तमाशा-ए-गुलसरो2 की, उसकी परेशानी नजर आती है
1. किस्मत का लिखा 2. सरोवर में फ़ूल
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