खुद के तो हो न सके, मेरा क्या तुम होवोगे
छोड़कर मेरे दिल का साथ, ता उम्र रोवोगे
गमें दुनिया में दो कदम साथ चल न सके,जब
आयेंगे मेरे खामोशी के दिन, बहुत पछतावोगे
हर बात पर उठाने की बात करते हो, जो उठ
गई एक दिन, तब किसकी कसम खावोगे
हर क्षण आँखों में तस्वीर बन रहते हो, पता
कहाँ था, फ़ुरकत के दिन इतने याद आवोगे
लड़खड़ाता है अलफ़ाक तो लेते हो संभाल, जब
लड़खड़ायेगा इश्क का कदम, कैसे संभालोगे
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