Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुदा करे, मेरी कसम का उसे एतवार हो

 

खुदा   करे,  मेरी   कसम   का    उसे   एतवार    हो
मुहब्बत फ़िर न रुसवा1 सरे बाजार हो

आँख उसकी जब भी तरसे, जल्वा-ए-दीदार2 को
सामने उसका आजुर्दगी -ए- यार3 हो

छूट न जाए हाथों से गरेबां बहार का
मुहब्बते इंतजार का चढ़ा हुआ खुमार हो

मेरी जान को करार मिले न मिले, बू-ए-गुल से
मस्त, यार के कूचे का हर दरो-दीवार हो

है यही खुदा से दुआ मेरी, बागे-आलम में
समन्दे-उम्र4का लगाम,हाथ से न बे-इख्तियार हो

1.बदनाम 2. नज्जारा 3. उदास यार
4.उम्र का घोड़ा


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