किसने मेरे दिल के बुझे दीये को जला दिया
जब्ते-मुहब्बत1 से, तमन्ना का परदा हटा दिया
तन्हा दिल मेरा कातिल नहीं था, रहनुमा2 किसी
के बहकावे में आकर मुझको कातिल बता दिया
या खुदा! हद चाहिये सजा में, उकूवत3 के वास्ते
तूने सीने में जलजले को भरके यह क्या किया
फ़जा भी बेकरार रहती है, जीस्त4की कराह से तूने
काफ़िला-ए-अश्क5 को सदा6 न देकर बुरा किया
जिक्रे-जफ़ा उससे करे, जो वाकिफ़ नहीं है, उसने
तो मेरे कत्ल के बाद ज़फ़ा से तोबा किया
1. दी हुई मुहब्बत 2. आवाज 3. दुख
4.जिंदगी 5. बह रहे आँसू 6. आवाज
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