Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मस्ती – ए - शराब, ख्वाब में जिस सूरत से

 

मस्ती – ए - शराब, ख्वाब  में जिस सूरत से

हमको मिलवाया ,  वो  तुम नहींहो


तुम अहलेआलममें, जामे - सुबही1 हो 

मेरे  जख्मे दिल-अहबाब2 की मरहम नहीं हो


तुम्हारे  हुश्न  की आँच  से खेमा- ए-फ़लक3 

जला जा रहा,तुम किसी शोले से कम नहीं हो


मेरे  दिल  वीरां  पे  मत  जाओ तुम, दिल

को कर  सके  तबाह, वो  तुम  नहीं  हो


हम  कोई  तर्के- वफ़ा4  नहीं  करते,  इश्क

मुसीबत है और तुम जिंदगी से कम नहीं हो



1.सुबह का जाम 2. दिली दोस्त 3.चाँद-तारे 

4.प्रेम को त्याग

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