Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साकिया उठा दे परदा आज तू रात के राज से

 

साकिया उठा दे परदा आज तू रात के राज से

बता दे, खराबात-नशी1 पुजारी कैसे बना आज से


अफ़सानागो2 को याद नहीं तेरी खत्में दास्तां

जमाना परेशां है तेरे फ़साने- ए- दराज3 से


तमाम बज़्म घायल है, तेरी शोख नजर के तीर से

तू कर दे इलाज आज, अपने दिले-साज से


हजरते-जाहिद भी पढ़ेंगे नावाज़ आकर यहाँ

शराबखाना, मस्जिद बन जायेगा आज से


उश्शाक4को मिलती है अबद5, तेरे ओठों के पैमाने में

तुझको डर कैसा, किसी बन्दाबाज6 से


1.शराबी 2. सुननेवालो 3. लम्बी कहानी 4.आशिक

5. लम्बी उम्र 6. प्रेमी 





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