Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

उस बेवफ़ा को हम आज भी याद करते हैं

 

उस बेवफ़ा को हम आज भी याद करते हैं

उसकी सलामती की दुआ, फ़रियाद करते हैं


जिसको रात-दिन तसव्वुर-ए-जाना किये हम बैठे रहे

वो अक्सर मेरे गुजर जाने की बात करते हैं


सुना था मैदाने- वफ़ा में नाम औ-नसब की बात

नहीं पूछी जाती, वो जात की बात करते हैं


समझ में नहीं आता, क्यों उस निगाहे नाज

को हम नज़अ में भी याद करते हैं


जमाने की नज़र में मिटी जा रहीं, जिंदगी की कद्रें

और हम गम से निजात की बात करते हैं


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ