Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक लिफ्ट की कहानी

 

क्या बताऊ मैं अपनी कहानी,
मेरा जीवन है सादा जैसे पानी.
वैसे काम से तो फुरसत ही नही मिलती
किंतु आज बिल्डिंग के लोगो की कम है गिनती.
तो सोचा अपना हाले दिल सुनाऊ
अपने जीवन की खट्टी मीठी बातो को बताऊ.

 



यूँ तो है आठ माले की यह इमारत
पर काम है इतना कि जैसे बीस माले की हो यह कम्बख्त.
रात को केवल दो घंटे ही सोइ थी
बेरहम दूधवाले ने 6 बजे ही निद्रा भंग कर दी.
मेरे पास मे मेरी बहन अब भी सोई थी पडी
पर दूधवाले को तो मैं ही अच्छी लगती हूँ बडी.
दबाया सीधे 8वे माले का बटन
नहीं चाहती थी कसरत करने का जतन.
देख रहा था उत्सुकता से माले का नम्बर स्क्रीन पर
मैं तो धीरे ही जऊंगी, तू चाहे जो कर.
कम्बख्तो ने लगाया नहीं स्पीकर मेरे अंदर
वर्ना गालियो की बरसात करती मैं तुझ पर.

 



8वे माले पर ना जाने का एक और है कारण
कि उस माले पर एक को करना है अपने मोटापे का निवारण.
आ जाता हैं दूधवाले को साथ लेकर
करता हैं मोर्निंग वॉक किसी पार्क मे जाकर.
मन करता है पटक दूँ दोनों को धरती पर
मेरा गुस्सा थामती है मेरी केबल मेरे ऊपर.

 




फिर 5वे माले पर है एक सुडौल युवक
जिसके लिये कभी नहीं जाती मैं थक.
रहता है रोज़ मुझे 9 बजे का इंतज़ार
उसका वज़न तो लगता नहीं मुझे भार
5वे माले की जब आती है पुकार
लगता है जल्दी पहूँचू चार माले के पार.
देखता है जब वह खुद को आइने में अंदर,
लगता है बंद कर लूं उसको कडी लगाकर.
उसके वापस आने का रहता है मुझे इंतज़ार
चाहती हूँ रोज़ आये वो ले के बहार.

 




मिलते हैं दो तीन दोस्त जब मेरे भीतर
शुरु हो जाता है बातों का लघु सफर.
होती है मुझे पूरी इमारत की खबर
सुनती हूँ सब बातें मूक होकर.

 




कभी जब पड जाती हूँ जब मैं बीमार
आ जाता है मेरी बहन पर काम का पूरा भार.
एक बार तो हम दोनो को हो गया था फीवर
सोये पडे थे दोनो ग्राउंड फ्लोर पर.
सब निवासियो का हो गया हाल बेहाल
8वे माले वाले ने तो किया मोर्निंग वॉक को भी टाल.
इलेक्ट्रीशियन डॉक्टर को फिर सबने बुलाया
1-2 दिन मे हम दोनों को चंगा कर गया.

 




करती हूँ जब किसी व्रद्ध अपंग की सेवा
वह है मेरे जीवन का सबसे बडा मेवा.
होती है मुझे घोर संतुष्टि
करके ऐसे लोगो के लिये अपने काम की पुष्टि.
इस संसार में सब करते हैं अपने हिस्से का काम
मैं भी होती ऊपर नीचे बिना कीये आराम.
खुश हूँ संतुष्ट हूँ , है मुझे अपने काम से लगाव
क्योंकि इस इमारत के लोगो से है अपनत्व का भाव.

 

 

Dr. Timple R. Sughandh

 

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