Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तुम्हारे जाने के बाद

 

 

तुम्हारे जाने के बाद,
मेरा घर सूना-सूना है।
जब तक तुम थे इस घर में
लगता, मेरा घर पूरा-पूरा है।।
सिर्फ तेरी उपस्थिति से
पूरा घर था भरा-भरा।
तेरी उपस्थिति के बिना
अब लगता है ये घर मरा-मरा।।
मुझे नहीं है पता
फिर तुम कब वापिस आओगे।
पर, एक विश्वास है तुम पर
तुम मुझे अपने पास बुलाओगे।।
अब तो मेरा यह घर
मकान-सा लगने लगा है।
तेरे बिना मेरा जीवन
अब वीरान –सा लगने लगा है।।
पल-पल, हर पल लगता है
मेरे दरवाजे पर दे रहे हो दस्तक।
पर वह कोई दूसरा होता है
और झुक जाता है मेरा मस्तक।।

 

 

डॉ. अकेलाभाइ

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ