लघुकथा के मानदंड
डॉ सुशील शर्मा
आज विषय बहुत अच्छा है लघुकथा का स्वरूप भाव और कथ्य क्या होना चाहिए।
लघुकथाकार बलराम अग्रवाल के अनुसार
"लघुकथा’ केवल आकारगत, शिल्पगत, शैलीगत और प्रभावगत ही नहीं, शब्दगत और सम्प्रेषणगत भी सौष्ठव को प्राप्त कथा-रचना है।"
अपनी समेकित इकाई में लघुकथा को गद्य-गीत जैसी सुस्पष्ट, सुगठित व भावपूर्ण; कविता जैसी तीक्ष्ण, सांकेतिक, गतिमय और लयबद्ध तथा कथा की ग्राह्य शीर्ष विधाओं—कहानी व उपन्यास—जैसी सम्प्रेषणीय और प्रभावपूर्ण होना चाहिए।
लघुकथा कहानी एवम उपन्यास की तरह मनोरंजक नहीं होती बल्कि संदेशात्मक किसी गहन विचार या भाव को अपने अंदर समेटे होती है।
अतः लघुकथा की भाषा सरल सहज सुगम्य किन्तु अमिधा और लक्षणा और व्यंजना से पूर्ण होनी चाहिए।
परिवार समाज को चित्रित करती हुई लघुकथा अब प्रवासी, विदेशी ज़मीन पर विस्तारित अर्थों को भी अपने में समेट रही है।
सामाजिक जीवन की विसंगतियों और विद्रूपताओं को अपने रचना संसार से चित्रित करने वाली लघुकथा अब स्त्री विमर्श ,बच्चों की प्रताड़ना,जातिवाद,धार्मिक उन्माद राजनीतिक प्रमाद,उच्च निम्न वर्ग के संघर्ष आदि को भी चित्रित कर रही है।
विषयगत नयेपन के साथ लघुकथा में बुनाबट और कसावट बहुत वांछनीय है।
किसी विचार कथ्य या भाव को चुटीलेपन,व्यंग्य या तल्खी से कम से कम शब्दों में उकेरना ही लघुकथा का उद्देश्य है।
उपन्यास अगर बगीचा है तो कहानी उस बगीचे का पौधा है और लघुकथा उस पौधे का फूल है।।
लघुकथा की संरचना में एकतंतुता एवम एकसूत्रता प्रमुख है।लघुकथा में घटना को सूक्ष्म,प्रखर एवम गहन रूप से प्रकट करना प्रमुख है।
पात्रों का चुनाव रचनाकार की साहित्यिक सामर्थ्यता पर निर्भर करता है कि वो अपने आशय और अनुभूति को किस प्रकार के पात्रों द्वारा प्रकट करना चाहता है वो मानवीय पात्र हो सकते हैं और प्रकृतिगत भी हो सकते हैं।लघुकथा के संवाद पात्रानुकूल और व्यंजना शक्ति से पूर्ण होने चाहिए।मूलभूत संघर्ष को प्रस्तुत करने में पात्रों का जीवंत होना आवश्यक है।
भाषाशैली लघुकथा की प्राण है।संश्लिष्ट अभिव्यक्ति के लिये सशक्त भाषा आवश्यक है जिससे वह अपने गहन विचारों को सफलतापूर्वक सम्प्रेषित कर सके।
न्यूनतम शब्दों में लघुकथा की मूलाभिव्यक्ति को साधना और शिल्प को बांधने के लिए सशक्त और सृजनात्मक भाषा आवश्यक है।
बहुत कम शब्दों में सशक्त भाषा के माध्यम से अपने आसपास बिखरे प्रसंगों, विषयों एवम घटनाओं को व्यक्त करना ही लघुकथा का प्रमुख उद्देश्य होता है।
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