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शिव पर दोहे

 
शिव पर दोहे
डॉ सुशील शर्मा

शुभ विचार एकाग्रता ,के संकल्प सुजान।
आत्मोन्नति शिव लक्ष्य है ,कल्याणी शिव मान।

जीवन से मृत्यु तलक, विस्तारित शिव ज्ञान।
प्रकृति प्राण उर्जित शिवा ,हैं अनादि विज्ञान।

सर्वमुक्त शिव सत्य हैं ,शिव सामर्थ्य अनंत।
अमिय तजा विष को पिया ,साम्ब सदा भगवंत।

राम पूज्य शिव शम्भु हैं ,रावण के आराध्य।
देवों के भी देव शिव ,असुरों के संसाध्य।

महाविनाशक हलाहल ,लिया कंठ में धार।
जीवों के रक्षक सदा ,शिव संकल्प विचार।

शशि धारक शिव सौम्य हैं ,सरल शांति प्रिय ईश।
महा भयंकर रौद्र शिव ,भूतों के जगदीश।

भटका मानव आज का ,दूषित है परिवेश।
प्रासंगिक शिव जीवनी ,हरती कष्ट क्लेश।

शिव चरित्र निरपेक्ष है ,मानव के अनुकूल।
परहित ज्ञान विकास मय ,हरता जीवन शूल।

शिव चरित्र से उर्जित ,यदि मनुष्य आचार।
मंगलमय जीवन बने ,अंत मोक्ष आधार।

मंगलमय शिवरात्रि है ,मन मंथन का पर्व।
शिव हितार्थ पूजन करें ,देव मनुज गंधर्व।

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