Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वह क्या करेगी ?

 

वह क्या करेगी ?



एक 

गरीब औरत

भीख माँग रही थी—

“बाबूजी,

दो दिन से कुछ भी नहीं खायी हूँ,

मेरी बच्ची भी भूखी है,

भगवन के लिए कुछ दी जिए !”


उस रात

बहुत ज़्यादा ठंड थी

फिर हलकी सी बारिश भी हो रही थी ।

लेकिन

रात भर के अँधेरे से भी

वह मर न सकी ।

वह जिंदा

एक बिजली के खंभे के सहारे

सुबह के अस्वस्थ सूरज में शरीर बेफ़िक्री सेक रही है कि

आज उसे रोटी मिले या ना मिले,

और 

आज रात भी

वह मर सके या ना सके ।



बच्ची

सो रही है,

शायद वह थकी हुई है

माँ की वक्ष चूसते-चूसते

क्योंकि दूध तो आता नहीं |



खुदा

देख रहा है,

चित्रकार

चित्र बना रहा है,

कवि कविता कर रहा है,

राजनेता शासन चला रहे हैं

लेकिन उसको यह पता नहीं कि 

जब बच्ची नींद से जागेगी तो 

वह क्या करेगी !


खुदा !

तुम भी ना !




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