आँचल
—ईगम खालिङ
क्या नहीं छुपाती है
एक नारी अपनी आँचलमें !
खुदा
जानता है कि
आँचल में सिर्जना की
संभावनाएँ अनंत होती हैं
फिर भीवह अचल रहती है,
इतनी समर्पित किकिसी को वह दिखाई नहीं देती ।
सब कुछ होता है
फिर भी आँचल में चूपचाप रहती है ।
हे प्रभु,
क्या नहीं छुपाती है
एक नारी खुद को खुद से आपनी आँचल में !
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