बेनाम धुन
ईगम खालिङ
यूक्रेन की
एक गल्ली के एक कोने पर
एक लावरिश लाश कब से
कफन का इंतजार कर रही थी ।
दो दिनों से
लाश जमीन पर पड़ी रही
लेकिन
सफेद कफन लेकर कोई नहीं आया ।
यह सब देखकर
एक संगीतकार बहुत तड़पता रहता है ।
रोता रहता है ।
आखिर में
वह अपना वादा तोड़ ही लेता है ।
और
आपना वाद्य यंत्र उठा लेता है ।
इस तरह
तुरंत उस लाश को
एक धून में जिंदा कर देता हैं ।
फिर
वह धुन
वह बजाता है
अपने भीतर के खुदा को चुनौति देकर ।
लेकिन खुदा खामोश ।
दुख की बात
यह थी कि जिसे उसने
वह धुन पहली बार सुनाया था
उस ने ही उसको गोली से उड़ा दिया ।
फिर क्या
[ ]
खुदा सदा के लिये ख़ामोश ?
यह
कहानी
एक बेनाम धुन बनकार
उड़ती रही बारूद के संग ।
[इगम खालिङ/१०/०५/२०२२]
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