उसकी कविता की कहानी
सभी ने
अपनी कहानियाँ सुनईं
सिर्फ वह ही एक लड़की चुपचाप सुनती रही ।
कुछ भी कहो
आख़िर दर्द तो दर्द ही होता है ।
इसीलिये
वह अकेली सुनती रही ।
वह जानती है
दर्द की असली दवा नहीं होता है ।
दर्द तो खुद दर्द होता है
जितना कहो उतना ही दर्द देता है ।
फिर वह
यह भी सोचती है कि
यह दर्द नहीं होता तो जिंदगी कितना बेरंग लगती
वह कुछ भी लेख नहीं पाती
और आज कुछ इस तरह
उसकी कविता की कहानी भी नहीं बन पाती ।
यह सच है कि
वह सब कुछ भूल जाना चाहती है—
अक्षरों में
वाक्यों में
अनुच्छेदों में खुद को
पूरी तरह से मुक्त करके ।
लेकिन
बीते हुये बुरे दिन याद करके
वह अक्सर बहुत डर जाती है
कयोंकि वह
बिना अर्थ की जीवन जीना ही नहीं चाहती थी ।
आज वह
सचमुच जीती रहती है
चुपचाप अपनी हर एक कविता में
लेकिन आज भी उसकी वह अटुट अंदरूनी ख़ामोशी
उसकी कविता की कहानी कहती रहती है ।
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