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कल · एक मनहरण घनाक्षरी

 

 कल · एक मनहरण घनाक्षरी।


एक मनहरण घनाक्षरी।

(1)
प्रेम के जो भाव मिले दिल छू गए हैं आज,
 भाव जहाँ दिव्य सुखधाम है स्वतंत्रता
शब्द शर से जो लगे घाव उन्हें पूरें यहाँ
कष्ट हरे सब के वो नाम है स्वतंत्रता
कामना से दूर करे वासना से मुक्त करे
प्रेमयुक्त ललित ललाम है स्वतंत्रता
छदमवेश धारी लगे संस्कार लुप्त करें
हुई आज देखो बेलगाम है स्वतंत्रता।

 --इंजी0 अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर

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