धर्म चर्चा दोहे: (विषय : तिलक या बिंदी का महत्व)
इड़ा सुषुम्ना पिंगला, नाड़ी संगम वक्र।
भाल तिलक उस केंद्र पर, शुभकर आज्ञाचक्र।।
मस्तक शीतल शांत हो, रहे तरावट युक्त।
चंदन का कर के तिलक, रहें भार से मुक्त।।
सेटाटोनिन संन्तुलित, बढ़े तिलक से भक्ति।
बीटाएंडॉर्फिन सही, बढ़ती मेघाशक्ति।।
तिलक लगाने से सदा, होंते शुभ-शुभ कृत्य।
इससे उद्दीपित रहे , ग्रंथि पीनियल नित्य।।
सूक्ष्म-स्थूल अवयव जगें, जागृत रहे शरीर।
उपासना हित नित्य ही, तिलक लगाएं वीर।।
चंदन या कुमकुम तिलक, से रहती मुस्कान।
सम्मोहित सबको करे, रहती दूर थकान ।।
कुमकुम बिंदी लाल यदि, बढ़े ऊर्जा स्फूर्ति।
वृद्धि करे सौंदर्य में, मुस्काये हर मूर्ति।।
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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