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प्रेम में मगन जो हैं

 

इंजी. अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'


कल  · 

मनहरण घनाक्षरी।

प्रेम में मगन जो हैं सतरंगी सपने ले,
बुन बुन उन्हें अतिशय सुख पाते हैं।
वेगवती प्रेयसी है चाँदनी सी प्रीति लिए,
मन में बसी है किंतु देख के लजाते हैं।
स्नेह अंतर आत्मा का नयनों का नीर बने,
बोल अधरों पे किन्तु कह नहीं पाते हैं।
झलकें जो बरबस भाव अनकहे सभी,
कितना छुपा लें चाहें छूप नहीं पाते हैं।

 --इंजी0 अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर

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