इंजी. अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
होली गीत
'मुदित मन कान्हा बने'
खेले होली गोरी रे तेरे पास, मुदित मन कान्हा बने
तेरे सँग ही रचा के महारास, मुदित मन कान्हा बने
बिंदिया मनोरम कजरा रिझाता
बाँकी जो चितवन है दिल आ जाता
तेरे ही रँग से है जीवन का नाता
गोरी जब जब करे तू परिहास, मुदित मन कान्हा बने।
तेरे सँग ही रचा के महारास.........
भाव तुम्हारे ही रहते घेरे
प्रतिपल मन ये तुझको टेरे
वंशी की तानों में सुर सब तेरे
हो जो तेरा मुझे ये आभास, मुदित मन कान्हा बने।
तेरे सँग ही रचा के महारास.........
निर्मल पावन मन को करती।
मन के दर्पण में रँग भरती
चुनरी है तेरी सतरँग धरती
रँग दे मन ये बुझेगी तभी प्यास, मुदित मन कान्हा बने
तेरे सँग ही रचा के महारास.........
--इंजी0 अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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