भगवान राम पर दो घनाक्षरी
(1)
प्राणों में समाए राम, कौशल्या के जाए राम,
राम राम राम राम राम गाते रहिए।
राम का जवाब राम, पुण्य का हिसाब राम,
राम की कथा को सुनते सुनाते रहिए।
मर्यादा पुरुष राम , मेटते कलुष राम,
भक्ति में सदैव उनकी नहाते रहिए।
बिगड़ी बनाते राम, क्या नहीं दिलाते राम,
जय राम जी की कहते कहाते रहिए।
(2)
तुलसी के प्यारे राम, सब के दुलारे राम,
यश गाते जिनका हृदय थकता नहीं।
अवध के भूप राम, शक्ति के स्वरूप राम,
राम सा चरित्र दुनिया में दिखता नहीं।
जो पुकारते हैं राम, उन्हें तारते हैं राम,
राम रटने से कोई काम रुकता नहीं।
धर्म के प्रतीक राम, देते हर सीख राम,
हतभागी है जो राम राम भजता नहीं।
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
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