Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बिछुड़ के हमसे तुम भी कम नहीं रोये

 
बिछुड़ के हमसे तुम भी कम नहीं रोये होगे'' 

बिछुड़ के हमसे तुम भी कम नहीं रोये होगे।
कुछेक दिन तो नहीं        चैन से सोये होगे।

उदासियों ने      तुम्हें भी    तबाह करने में,
मैं मानता हूँ    कोताही नहीं  बरती   होगी।
ये आसमान नाचता   हुआ  लगा      होगा,
नजर आई तुम्हें भी    घूमती धरती   होगी।

वो ख्वाब आँख में नाचे  जरूर   कुछ होंगे,
जो हमने साथ-साथ बैठ   के सँजोये    थे।
निगाह में निगाह  डाले  हुये  देर    तलक,
हम किसी और ही दुनिया में जहाँ खोये थे।

मेरे हाथों में अपनी  नर्म  हथेली    देकर,
शौक से ताप जो महसूस किया करते थे।
मेरे करीब आ  के अपनी गर्म साँसों  को,
मेरी साँसों के साथ  घोल दिया करते  थे।

मेरे बालों  में उँगलियों को  फिराने  वाले!
मेरे सीने में तड़प कर के    समाने  वाले!
बड़ी मासूमियत के   साथ मेरे पैरों  को,
मना करने पे भी  माथे से  लगाने  वाले!

सबसे पहले   मुझे  हर बात बताने वाले!
अपनी सारी अदायें मुझको दिखाने वाले!
मेरी गोदी में अपने सिर को रखके घंटों तक,
सोने वाले, कभी मुझको भी सुलाने वाले!

वो यादगार दिन तुम्हारे  दिल के नक्शे से,
इतनी आसानियों से तो नहीं मिटे   होंगे।
निशान दर्द के जो हैं छपे मेरे मन    पर,
तुम्हारी रूह पर भी कुछ न कुछ छपे होंगे।

हसीन लम्हे  वो तुम भी तो  सँजोये होगे।
याद के मोती कुछ न कुछ तो पिरोये होगे।

बिछुड़ के हमसे तुम भी कम नहीं रोये होगे।
कुछेक दिन तो नहीं        चैन से सोये होगे।
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                                   -गौरव शुक्ल
                                       मन्योरा

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