Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

इक मेरे चाहने से क्या होगा

 
इक मेरे चाहने से क्या होगा

इक मेरे चाहने से क्या होगा, 
तुम भी तो हौसला दिखाओ कुछ। 
राज मैंने तो हर उगल डाला, 
प्यार अब तुम भी तो जताओ कुछ। 

कुंडली मारकर न यूँ बैठो, 
प्यार करते हो तो इजहार करो 
डाल आँखों में आँख कुछ बोलो, 
और ज्यादा न इंतजार करो। 

जिंदगी कम है प्यार करने को, 
रेत सा वक्त बहा जाता है। 
तेरे होंठों पे यह लटका ताला, 
अब नहीं और सहा जाता है। 

मेरे जज्बात की इज्जत रख लो, 
मेरी उम्मीद पर तरस खाओ। 
मेरे उजड़े हुए गुलिस्ताँ में, 
तुम घटा बन के, आ, बरस जाओ। 

 क्या पता फिर से ये वीरान चमन, 
तेरे रहमो करम से बस जाए। 
मेरी दुनिया का यह अकेलापन, 
न मुझे काट काट कर खाए।। 

-गौरव शुक्ल
मन्योरा 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ