इस दुनिया के रंगमंच पर
इस दुनिया के रंगमंच पर, अभिनय करने आया मैं भी।
मुझको भी आदेश हुआ है, मैं अपना किरदार निभाऊँ,
दुख में कभी दुखी हो जाऊँ, सुख पाऊँ तो हँसूँ, हँसाऊँ।
हँसना भी नाटक है प्यारे,
रोना भी नाटक है प्यारे।
हँसना भी भ्रामक है प्यारे,
रोना भी भ्रामक है प्यारे।
रोने हँसने आये तुम भी, रोने हँसने आया मैं भी।
इस दुनिया के रंग मंच पर अभिनय करने आया मैं भी।
(2)
पल दो पल के इस जीवन में, क्या पाकर अभिमान करें हम,
ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, कटुता तज, जीवन को आसान करें हम।
आओ मिलजुल रहना सीखें,
नहीं कभी भी लड़ना सीखें।
बढ़़े परस्पर भाईचारा,
इतना ही मंतव्य हमारा।
शेष, भटकने आए तुम भी, शेष, भटकने आया मैं भी।
इस दुनिया के रंग मंच पर अभिनय करने आया मैं भी।
(3)
कठपुतली की तरह नाच कर, अपनी राह चले जायेंगे,
फिर चाहे जितना चिल्लाना, नहीं लौट वापस आयेंगे।
असल जहाँ के वासी हैं हम,
बेहद दूर देश वह अनुपम।
जहाँ सुनिश्चित जाना सब का,
अंतिम एक ठिकाना सबका।
उसी ठिकाने तुम भी लगने, आए, लगने आया मैं भी।
इस दुनिया के रंगमंच पर अभिनय करने आया मैं भी।
-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
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