Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जब आएगा जाने का वक्त

 


जब आएगा जाने का वक्त

है तुम्हारे पास तो कदर उसकी करना जो चला गया एक बार तो लौट कर नहीं आएगा वो वक्त

छप जाती है स्मृतियां दिल के पन्नो पे
बस एक नाम छाया होता है मन के रोम रोम दर्शो मैं

मैं कभी तुम्हे बता नही पाऊंगा इसे मजबूरी कहो या खामी

पर मेरी आंखे पढ़ लेना तुम जब आयेगा जाने का वक्त !
देखना बेहद प्रेम उनमें तुम अपने लिए पाओगी और नमी से छलके आसुओं में तस्वीर अपनी देख पाओगी

मन मेरा सिर्फ तुम्हारा दीवाना है
पता नही यह कैसा दिलो का अफसाना है

यह सब खयाली बाते है मेरी जब की मुझको पता नही हम मिलेंगे भी कभी और क्या होगी बाते पहले जैसी

जब आएगा जाने का वक्त

- गौरव

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ