विज्ञान-कविता "क्षारक"
क्षार और क्षारक के बारे में जानें कुछ तथ्य विशेष ,
अंग्रेजी में क्षार 'एल्कली' कहलाता क्षारक है 'बेस' ।
क्षार सभी क्षारक हैं पर सब क्षारक क्षार नहीं होते ,
वे क्षारक जो जल में घुल जाएँ, हैं क्षार वही होते ।
क्षारक की परिभाषा भी अब तक न बनी संतोषजनक ,
फिर भी आओ कुछ जाने पहचाने क्या होता क्षारक ?
अम्लों की ही भाँति क्षारकों के भी हैं उपयोग बड़े ,
अरे ! सभी ने साबुन से तो धोए ही होंगे कपड़े ;
सोचा ,आखिर साबुन में क्या है जो मैल हटाता है ?
क्षारक ही है,जिसके कारण साबुन यह कर पाता है ।
धावन सोडा (Na2CO3) मैल निवारक है,
खाने का सोडा (NaHCO3) भी क्षारक है ।
प्रायः इनका स्वाद कसैला, कड़ुआ कभी,हुआ करता
हाथों पर रगड़ें तो यह साबुन जैसा चिकना लगता ।
क्षारक पड़े लाल लिटमस पर तो उसको नीला कर दे ,
अगर फूल पर गुड़हल के डालो तो उसे हरा कर दे ।
कागज, कपड़ा,टूथपेस्ट या फिर उर्वरक बनाने में ,
मिट्टी की ही नहीं पेट तक की अम्लता भगाने में ;
है प्रयोग क्षारक का होता ऐसे काम हजारों में ,
है बहूपयोगी बिठलाना यह भी बात विचारों में।
अम्ल, क्षार, क्षारक पढ़ा,
अब कल जानेंगे लवण।
यह भी जानेंगे कि क्या,
क्रिया उदासीनीकरण।।
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
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