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Dr. Srimati Tara Singh
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लवण

 

विज्ञान-कविता "लवण"



आज बात करें होता क्या लवण है?
खाने में नमक     सबने किया    ग्रहण है। 

सोचा कभी है क्या यह? किस भाँति बनता? 
अम्ल और  क्षारक तो   अब  सबको   पता। 

जब कभी यह दोनों   आपस में मिलते, 
तभी भाँति भाँति के लवण बना करते। 

नमक भी एक खास किस्म का लवण है, 
एक अम्ल और एक क्षार का  मिलन है। 

क्षार 'सोडियम हाइड्रोक्साइड' के  साथ जब, 
अम्ल 'हाइड्रोक्लोरिक' मिलाते कभी हम तब-

(इस क्रिया में विशेष बात एक ध्यान हो, 
सांद्रता व आयतन दोनों का समान हो) 

'सोडियम क्लोराइड' बनता  नमक है ;
गुण इस यौगिक का दोनों से पृथक है। 

आओ एक यहाँ पे  प्रयोग  कर हम लें, 
नमक का थोड़ा सा जलीय विलयन लें;

नीले, लाल, लिटमस दोनों इस घोल में, 
डुबा कर देखते हैं, दीखता है क्या हमें? 

रंग किसी लिटमस    का  नहीं बदलता, 
नीला, नीला रहता है, लाल, लाल रहता। 

यानी इसकी प्रकृति    होती उदासीन है, 
स्वाद लवणों का प्रायः होता नमकीन है। 

जैसे प्लस एक,  माइनस एक जुड़ के, 
जीरो मिलता है सभी देख चुके करके। 

इसी भाँति अम्ल व क्षारक जब मिलते, 
गुण दोनों में से किसी के न शेष रहते। 

एक दूसरे   का नष्ट    करते प्रभाव हैं, 
क्योंकि विपरीत होते इनके स्वभाव हैं। 

यह क्रिया 'उदासीनीकरण'   कहाती है, 
जो कि हम सबके बहुत काम आती है। 

जैसे आती जब कभी, 
               खट्टी हमें डकार। 
खाना सोडा जल मिला, 
              पी करते उपचार।। 
               - - - - - - - 
-गौरव शुक्ल
मन्योरा 
लखीमपुर खीरी 

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