मैं अकेला जी सकूँगा।
(1)
तुम न मेरा साथ दोगे,
दूर कतरा कर चलोगे,
छाँव से मेरी बचोगे,
तो बचो , पर देख लेना मैं न इतने से मरूँगा ।
मैं अकेला जी सकूँगा ।
(2)
मैं बुरा हूँ तो तुम्हें क्या,
मैं भला हूँ तो तुम्हें क्या,
मैं लुटा हूँ तो तुम्हें क्या,
मैं न हमदर्दी तुम्हारी, प्राप्त करने को रुकूँगा ।
मैं अकेला जी सकूँगा ।
(3)
दो जिसे चाहो सहारा,
औ' करो मुझसे किनारा,
मैं तुम्हारा दाँव हारा,
तुम न मेरे हित बने थे, आज से यह मान लूँगा।
मैं अकेला जी सकूँगा।
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गौरव शुक्ल
मन्योरा
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