Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मुझको बहुत याद तुम आये

 
मुझको बहुत याद तुम आये।।
(1)
दिन भर के कामों से थककर,
खा पी, मुँह चादर में ढककर,
जब सारा जग सोया छककर ;

पूरी रात जाग तब मैंने, तुमको सौंपे वचन निभाये।
मुझको बहुत याद तुम आये।। 
(2)
जब हर दर पर ठोकर खाई,
सबने    मेरी   हँसी   उड़ाई,
जब यह दुनिया रास न आई;

जब जब सगा बताने वाले, पल भर में हो गये पराये। 
मुझको बहुत याद तुम आये।। 
(3)

जब अपनों का  दामन छूटा,
जब-जब दिल शीशे सा टूटा,
जब किस्मत का भाँडा फूटा;

जब जब मेरे अरमानों पर, इस दुनिया ने वज्र चलाये।
मुझको बहुत याद तुम आये।।
-----------------
-गौरव शुक्ल
मन्योरा

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ