मुझको बहुत याद तुम आये।।
(1)
दिन भर के कामों से थककर,
खा पी, मुँह चादर में ढककर,
जब सारा जग सोया छककर ;
पूरी रात जाग तब मैंने, तुमको सौंपे वचन निभाये।
मुझको बहुत याद तुम आये।।
(2)
जब हर दर पर ठोकर खाई,
सबने मेरी हँसी उड़ाई,
जब यह दुनिया रास न आई;
जब जब सगा बताने वाले, पल भर में हो गये पराये।
मुझको बहुत याद तुम आये।।
(3)
जब अपनों का दामन छूटा,
जब-जब दिल शीशे सा टूटा,
जब किस्मत का भाँडा फूटा;
जब जब मेरे अरमानों पर, इस दुनिया ने वज्र चलाये।
मुझको बहुत याद तुम आये।।
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
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