नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर
नेताजी तुम खो गए अचानक कैसे !
यह प्रश्न बेधता हमें आज भी वैसे!
अब भी ज्यों के त्यों आप याद आते हो,
आ, देश भक्ति का पाठ पढ़ा जाते हो।
निर्भीक! निडर! केहरी सदृश वह मस्तक!
अप्रतिम तेज के धनी! सभी के नायक!
साधक स्वतंत्रता के! अभिराम तपस्वी!
बल, पौरुष के आगार! अपार मनस्वी!
साहस के सिंधु! शौर्य के दीप्त दिवाकर!
वह त्याग, ओज की वाणी हमें सुना कर-
सपना स्वतंत्रता का आंखों में पाले,
छिप गए किधर भारत भू के रखवाले?
कर याद आपको हम अधीर होते हैं,
कुछ पत्थर अब भी सीने पर ढोते हैं।
कुछ कसक अभी भी शेष बची है मन में,
ढूंढते आपको हम आज भी भुवन में।
है पता आप अब लौट नहीं आएंगे,
लेकिन हम सदा आपको गुहराएंगे।
पीढ़ियां आपके गौरव-गीत कहेंगी,
सदियां आपका पराक्रम याद करेंगी।
जब भी भारत का नाम लिया जाएगा,
नेतृत्व आपका याद किया जाएगा।
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
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