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Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे

 
प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे


प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे, 
मेरे जेहन में   तू कुछ इस तरह    समाई है। 
                      (1)
तेरे बदन का हर्फ हर्फ है पढ़ा मेरा, 
मेरे बदन का हर्फ हर्फ है पढ़ा तेरा।
मेरी हर साँस पे लिक्खा है नाम तेरा ही, 
है मेरी रूह बजाती सलाम तेरा ही। 
है तेरे दम से ही आबाद ये चमन मेरा,
तेरे जमाल से ही है जहाँ रोशन मेरा। 

निसार करने को तुझ पर ये जिंदगी कम है, 
तू अकेले ही समूची मेरी कमाई है। 
प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे, 
मेरे जेहन में   तू कुछ इस तरह    समाई है। 
                      (2)
तू मेरे साथ है तो किस की जरूरत है मुझे, 
मिली भगवान से अनमोल नियामत है मुझे। 
बहुत भटक के ठिकाने हूँ लग गया आकर,
और अपनाना क्या बाकी है तुझे अपना कर।
तू घुल गई है फिजाओं में खुशबुओं की तरह, 
 तू मेरे दाहिने बायें है बाजुओं की तरह। 

ओ मेरे ख्वाब, मेरी आरजू, दौलत मेरी, 
मेरी दुनिया तूने जन्नत मेरी बनाई है। 
प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे, 
मेरे जेहन में   तू कुछ इस तरह    समाई है। 
                      (3)
मेरे दिल में बड़ा ऊँचा तेरा सिंहासन है,
तू मेरा तन है, मन है और मेरा जीवन है। 
तू मेरे साथ आँख मूँद चला करती है, 
मेरे हर फैसले में साथ दिया करती है।
हाँ मेरा रोम रोम कर्जदार है तेरा, 
चुका सकूँगा न इतना उधार है तेरा। 

हर मुसीबत में मुझे हौसला देने वाली! 
न जाने कौन से ग्रह से उतर के आई है।
प्यार करने को तुझे सौ जनम भी कम होंगे, 
मेरे जेहन में   तू कुछ इस तरह    समाई है। 
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गौरव शुक्ल
मन्योरा

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