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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती पर

 

गौरव शुक्ल मन्योरा 

Mon, Oct 2, 12:31 PM (19 hours ago)




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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती पर-


जब जब अत्याचार हदों से पार हुआ है,
अन्यायों का अनायास विस्तार हुआ है।
पक्षपात शोषण की जब आँधी आई है,
पापों से जब जब वसुंधरा घबराई है।

 जब जब नीति,नियम,नय सारे ध्वस्त हुए हैं,
भोले-भाले, सरल व्यक्ति संत्रस्त हुए हैं।
तब तब एक अलौकिक शक्ति पधारी भू पर,
या कह दें ईश्वर ही आया रूप बदल कर।

दो अक्टूबर अट्ठारह सौ उनहत्तर में,
करमचंद के घर गुजरात पोरबंदर में;
कुछ ऐसी ही स्थितियाँ थीं जब गाँधी आये,
उनकी प्रभुता ने परंतु सब दोष नसाये।

मनुज रूप में उस प्रभु का सुस्मरण करें हम।
आओ! अपने राष्ट्रपिता को नमन करें हम।
* * *
राष्ट्रपिता था, शांतिदूत था, हीन-कलुष था,
युगद्रष्टा, युगपंथप्रदर्शक, महापुरुष था।
उसकी कृश काया में कितनी शक्ति भरी थी!तेजस्विता स्वर्ग की ज्यों भू पर उतरी थी।

जिधर बढ़ा वह, उसे विजय ने गले लगाया,
जिधर मुड़ा, कष्टों ने हटकर शीश झुकाया।
जहाँ दिखा,जनमानस में जीवन लहराया,
जहाँ बसा वह,खुशियों ने आँचल फहराया।

जिधर चला,अन्यायों को ठेलता चला वह,
सब प्रतिरोध विरोधों को झेलता चला वह।
सत्य धन्य हो गया,जगत में उसको पाकर,
हुई अहिंसा पूज्य, 'महात्मा' को अपनाकर।

उनके प्रति अपनी कृतज्ञता कहाँ धरें हम?
आओ!उस महान आत्मा को नमन करें हम।

* * *

यूँ तो जग में सब उपदेश दिया करते हैं,
पर उसको आचरित न सभी किया करते हैं।
गाँधी ने जो कहा, उसे करके दिखलाया।
निष्ठा से निज सिद्धांतों को पूज्य बनाया।

हाय! देश का जाने कैसा भाग्य बना है,
आलोचना हो रही उनकी विडंबना है।
महाविलासी ,त्यागी की विवेचना करते,
भोगी, योग और संयम का मूल्य परखते।

कपटी करते बहस प्रेम की सार्थकता पर,
महाअनैतिक, प्रश्न उठाते नैतिकता पर।
जुगनू अब, सूरज को राह दिखाने निकले,
सँभलो ,शोषणकर्ता न्याय दिलाने निकले।

पहले इस घातक प्रवृत्ति का दमन करें हम,
फिर सच्चे मन से बापू को नमन करें हम।

* * *

यद्यपि जन मन का अधिनायक आज नहीं है,
सत्य अहिंसा का वह गायक आज नहीं है;
पर प्राचीन ज्ञान की निधियों को समेट कर,
और उन्हें अपने कर्मों से प्रतिपादित कर-

हमको सौंप गया है ऐसे नव स्वरूप में,
लगता है वह यहीं छिपा है अन्य रूप में।
अब भी गाँधी बीच हमारे विद्यमान है।
उसकी शाश्वत सत्ता अब भी वर्तमान है।

हम सब उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हम सब उनको भावांजलि अर्पित करते हैं।
हम सब उनको पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
हम सब उनको प्रणमांजलि अर्पित करते हैं।"
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी 


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