Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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'' साँसों का आना जाना ही ''

 
'' साँसों का आना जाना ही ''

साँसों का आना जाना ही नहीं निशानी जीवन की। 

जीवन वह, जो कहीं दूसरों के भी लिए जिया जाए,
जीवन वह, जिसका उदाहरण सालों साल दिया जाए। 
जीवन वह जो मानवता को पंथ दिखाने वाला हो, 
जीवन वह जो दानवता से मुक्त कराने वाला हो। 

जीवन वह जिसकी गाथाएँ जिह्वा पर हों जन जन की, 
साँसों का आना जाना ही नहीं निशानी जीवन की।

जीवन वह जो ऊर्जा का संचार करे सबके मन में,
जीवन वह जो नित नवीन प्रेरणा भरे सबके मन में। 
जीवन वह जो लोकमान्य नैतिकता से अनुप्राणित हो,
जीवन जिसमें प्राणिमात्र हित संवेदना समाहित हो। 

जीवन वह जो ले मशाल आगे आए परिवर्तन की, 
साँसों का आना जाना ही नहीं निशानी जीवन की। 

जब सत्ता बहरी हो जाए झूठ चतुर्दिक पसरा हो, 
सत्य बोलने वाले के प्राणों पर संकट गहरा हो। 
धन लोलुपता, पद लोलुपता नाच रही हो सिर चढ़कर,
अन्यायों से डर बैठा हो न्याय कंदरा में छिपकर। 

जीवन वह जो चूल हिला दे ऐसे में सिंहासन की,
साँसों का आना जाना ही नहीं निशानी जीवन की।

-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी 

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