श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर
कुछ सवैये
(१)
जन्म से पूर्व ही सैकड़ों विघ्नों से जो टकरा धरती पर आया।
क्रूर नराधमों ने जिसके पिता-माता को,भाँति अनेक, सताया।
जेल में जन्म लिया मथुरा की व गोकुल में गया पाला, पढ़ाया।
विष्णु का अंशावतार वही, यहाँ आकर कृष्ण कन्हैया कहाया।
(२)
बालपने से ही लीला अनेक, दिखा,सबके मन भाता रहा।
गायें चराता मिला जो कभी, कभी माखन चोरी से खाता रहा।
जीवन जीने की शुद्ध कला,हमको सबको सिखलाता रहा।
निर्भय मृत्यु की गोद में बैठ के,बाँसुरी मस्त बजाता रहा।
(३)
भूल नहीं सकते जो कभी, हमें ऐसे वो पाठ पढ़ा गया है।
छोटे से छोटा, बड़े से बड़ा, हर कर्म महान बता गया है।
न्याय के हेतु, अधर्म विरुद्ध ,खड़े रहना जतला गया है।
गीता का ज्ञान सिखा गया है, हमें प्रेम का पंथ दिखा गया है।
(४)
कोई नहीं अपना जग में तथा कोई यहाँ पे पराया नहीं।
जो भी लिया है यहीं से लिया, कोई ऊपर से कुछ लाया नहीं।
जायेगा साथ में कौन भला जब साथ में कोई भी आया नहीं।
जीवन जीने का कौन तरीका हमें उसने समझाया नहीं।
-गौरव शुक्ल
मन्योरा
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