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तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि

 
 तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि! 

तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि! यह जीवन छोटा लगता है। 
                                   (1)
अमित भावनाएँ उमगी हैं,    अंतर में,      कैसे दिखलाऊँ ;
 तुम पर यह तन-मन न्योछावर, है, तुमको किस भाँति बताऊँ। 

 हर पूजा छोटी लगती है,      हर वंदन छोटा लगता है। 
तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि! यह जीवन छोटा लगता है। 
                                    (2)
दुनिया की आपाधापी में,      सीमित अवसर पास हमारे ;
सीमित दिवस, काल क्षण सीमित, सीमित श्वाँस, देख मन हारे। 

 तुम्हें भेंट लेने को जी भर, भुजबंधन छोटा लगता है। 
तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि! यह जीवन छोटा लगता है। 
                              (3)
खोज खोज कर हार गया हूँ, हर उपमा थोथी लगती है। 
हर वर्णन छोटा लगता है,   हर रचना छोटी लगती है। 

हर दर्शन छोटा लगता है, हर गायन छोटा लगता है। 
तुम्हें प्यार करने को प्रेयसि! यह जीवन छोटा लगता है। 
                           - - - - - - - - - - 
गौरव शुक्ल 
मन्योरा 
लखीमपुर खीरी

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