उरी की आतंकवादी घटना पर -
वसुधा को एक कुटुम्ब मानने वालों पर,
यह किसने कायरता से भरा प्रहार किया?
हे राम!अहिंसा और शांति के दूतों की,
यह आज पीठ में छूरा किसने मार दिया?
धीरज की कौन परीक्षा लेने आया फिर,
बैठे सुशांत सिंहों को उकसा गया कौन?
फिर पंचशील के सिद्धान्तों की रक्षा में,
आकर यह भारी रोड़ा अटका गया कौन?
हमने किसकी संप्रभुता पर आघात किया,
हमने कब अपनी भूमि बढ़ानी चाही है?
हम तत्पर हैं मानवता के कल्याण हेतु,
सारे जग ने भारत की नीति सराही है।
पर पाकिस्तान तुझे धिक्कार हजार बार,
तूने तो आज नीचता की हद ही कर दी।
तूने यह सोते हुये जवान नहीं मारे,
फिर एक बार चिनगारी फूस तले धर दी।
हमने तेरे सौ अपराधों को क्षमा किया,
हो विवश हमें अब चक्र उठाना ही होगा।
अपने निषंग में बाण पुनः भरने होंगे,
लाचार, शिथिल शारंग चढ़ाना ही होगा।
तेरे पापों का घड़ा भर चुका है पापी,
तेरे सिर पर मँडराने लगी मौत आकर।
तेरे दुष्कृत्य अपार हुये, अनगिनत हुये,
है प्रत्यंचा खींचनी बहुत ही उकताकर।
उन अट्ठारह निर्दोष शहीद जवानों की,
विधवाओं को कुछ तो जवाब देना होगा।
उनकी माँओं की, उनकी पुत्र पुत्रियों की,
पीड़ाओं का कुछ तो हिसाब देना होगा।
मोदी जी! सेनाओं के बँधे हाथ खोलो,
भाषणबाजी से काम नहीं चलने वाला।
खा चुके तमाचे अब तो दोनों गालों पर,
यह पाकिस्तान नहीं अब भी रुकने वाला।
सम्पूर्ण राष्ट्र करबद्ध निवेदन करता है,
उसके आग्रह को और न अस्वीकार करो।
इन नीच, धूर्त, क्लीवों की सीमा में घुसकर,
चुन-चुन इनकी छाती पर वज्र-प्रहार करो।
आतंकवाद के अड्डे जब तक नष्ट न हों,
तब तक विराम लेने की मन में मत लाना।
इस वीरभूमि की परिपाटी की शपथ तुम्हें,
इन नराधमों पर अबकी दया न दिखलाना।
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
मोबाइल-7398925402
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