Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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'विज्ञान-कविता ''पदार्थ की संरचना ''

 
'विज्ञान-कविता ''पदार्थ की संरचना '' 

कैसे बनता है पदार्थ यह   किस्सा भी रुचिकर है ,
कभी ठोस, द्रव कभी, गैस में आता कभी नजर है ।

आओ इसकी संरचना के बारे में कुछ जानें ,
और प्रकृति में छिपे हुए कौतूहल को पहचानें ।

द्रव्य बना है छोटे छोटे कई कणों से मिलकर ,
छोटे-छोटे इन्हीं कणों को समझेंगे 'अणु' कहकर।

अणु इतना है सूक्ष्म कि हम कैसे इसको बतलाएँ ,
एक शकर के दाने से आओ इसको समझाएँ ।

कूट पीसकर इसे और चाहो तो छोटा कर लो ,
अब सबसे छोटे कण को अपनी उँगली पर धर लो। 

सोचो और बताओ इसमें   अब कितने अणु होंगे ,
दस, सौ, एक हजार, लाख शायद तुम यह बोलोगे।

पर अपने सिर के बालों को है ज्यों मुश्किल गिनना ,
उससे भी ज्यादा मुश्किल इसमें अणुओं की गणना। 

बात अचंभित करती है, है किंतु यही सच्चाई ,
गिन भी इन्हें सकोगे, जारी रखना मगर पढ़ाई। 

अणु की है तारीफ प्रकृति में यह स्वतंत्र रह सकता ,
रासायनिक क्रिया में पर प्रतिभाग नहीं यह करता ।

दो या दो से अधिक इसे मिलकर 'परमाणु' बनाते ,
यह परमाणु स्वतंत्र प्रकृति में मगर नहीं रह पाते ।

ठोस, ठोस है क्योंकि निकट इनमें अणु काफी ज्यादा ,
द्रव में दूर, गैस में दूरी   पर  सबसे   ही ज्यादा ।

बीच-बीच दो अणुओं के, 
              जो आकर्षण बल बसे ;
अंतराणविक आकर्षण, 
               बल कहते हैं हम उसे।
            ___________
-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी

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