यह कवि की शवयात्रा है।
यह कवि की शवयात्रा है कुछ धूमधाम हो जाने दो।
मन मलीन मत करो,नहीं आँखों में आँसू आने दो।
कवि मरता ही नहीं कभी भी कैसी व्यथा, शोक कैसा?
यह अपनी रचनाओं में जीवित है जैसे का तैसा।
यह चिरयुवा, अमर्त्य, इसे सीमा कब कोई बाँध सकी;
इसकी गति को कब कोई बाधा आकर के साध सकी।
खींच गया है चित्र समय के पन्नों पर यह कुछ ऐसे,
कभी नहीं मिटनेवाले अनुप्राणित जीवन से जैसे।
यह उड़ान जब भरता था तो बाज दंग रह जाता था,
इसकी गहराई की थाह सिंधु भी थाह न पाता था।
नयन मूँदता था जब यह तो योगी सकुचा जाते थे,
इसकी अंतर्ज्वाला देख पसीने रवि को आते थे।
राह बनाते थे गजराज लजाकर, जब यह चलता था;
निखिल विश्व इसके मस्तक की रेखाओं में बसता था।
मरा नहीं यह अमर हो गया सार्थक था इसका जीवन,
कर बाल्मीकि, व्यास, तुलसी की परंपरा का परिपालन।
कालिदास, भूषण, जगनिक के और चंदबरदाई के;
पदचिन्हों पर चलकर सूर, कबीरा, मीराबाई के।
अद्भुत निधियाँ सौंप गया है यह समाज को,जनता को;
नमन कोटिशः इस दिव्यात्मा की सतेज पावनता को।
इसके गीत युगों तक भावी संततियाँ दुहरायेंगी,
जीवन के दुरूह प्रश्नों के उत्तर इनमें पायेंगी।
थके पथिक विश्रांति सहेजेंगे इसकी कविता पढ़कर,
नव ऊर्जा समाज को सौंपेगा इसका हरेक अक्षर।
इसकी रचनाओं की औषधि हर अवसाद उतारेगी,
मानवता का आनन इसकी अनुपम कला सँवारेगी।
जाने दो! इसके स्वागत को स्वर्गलोक आतुर होगा,
उस जग में भी उत्सुक इसके दर्शन को हर सुर होगा।
हँसी खुशी के साथ इसे शमशान घाट तक पहुँचाओ,
कविर्मनीषी परिभू एवं स्वयंभू का गायन गाओ।
जो जीते जी झुका नहीं वह शीश तनिक ऊँचा कर दो,
इस प्रकाशवाहक की अर्थी पर कोई दीपक धर दो।
चिता जले जब इसकी अपने दोनों हाथ उठा लेना,
इस अनमोल रत्न को पूरे आदर सहित विदा देना।
बहुत शीघ्र ही यह धरती पर नये रूप में आयेगा;
ज्योति नवीन पुनः आकर के दुनिया में फैलायेगा।
लखीमपुर खीरी
मोबाइल-7398925402
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