बताओ तुम्हीं मुझे भगवान,
करूं मैं कैसे तेरा ध्यान?
न पूजा का कोई सामान,
न मंत्रों का ही मुझको ज्ञान,
नहीं आचार विचार महान,
साधना के पथ से अनजान,
भरे हूं भीतर तक अभिमान।
करूं प्रभु कैसे तेरा ध्यान।
इंद्रियों के सदैव आधीन,
अहर्निश विषयों में तल्लीन,
हृदय स्वच्छंद, नियंत्रण हीन,
कुटिलतम, कपटी, अघी, मलीन,
दुर्गुणों की अनन्यतम खान।
करूं प्रभु कैसे तेरा ध्यान।
न जानूँ निराकार साकार,
भक्ति के नौ या अधिक प्रकार,
भावनाओं में भरा विकार,
आज तक किया न पर-उपकार,
बुराई से केवल पहचान।
करूं प्रभु कैसे तेरा ध्यान।
शक्ति के अपने आप प्रमाण,
डालते निर्जीवों में प्राण,
पापियों को भी देते त्राण,
सभी का करते हो कल्याण,
द्रवो मुझ पर भी दया निधान।
करूं प्रभु कैसे तेरा ध्यान।
-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
मोबाइल - 7398925402
![]() |
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY