मौत एक दिन आनी है आएगी ही
मौत एक दिन आनी है, आएगी ही;
मगर जहाँ तक चले जिंदगी जीता चल!
(1)
फूल खिला है तो जरूर मुरझायेगा,
आया है जो यहाँ एक दिन जायेगा।
तू भी आया यहाँ, तुझे भी जाना है;
आने जाने का सिलसिला पुराना है।
इससे घबराने की कौन जरूरत है,
ऐसा हर खयाल तेरा बदसूरत है।
जब तक जी तू खूब शान से जी प्यारे!
फिर न मिलेगी, दिलो-जान से जी प्यारे।
खुशी और गम दोनों हँस हँस सहना सिख,
जहर मिले या अमृत शौक से पीता चल!
मौत एक दिन आनी है, आएगी ही;
मगर जहाँ तक चले जिंदगी जीता चल!
(2)
तेरे हाव भाव से प्रसन्नता झलके,
तेरी बातचीत से जीवन रस छलके।
लोग कहें, जीने का तुझे सलीका है,
बेहतर करने का कुछ, पता तरीका है।
दुखी मिले तो बढ़कर उसे सहारा दे,
उसके दुख का समाधान कुछ प्यारा दे।
हर गरीब के लिए दर्द हो सीने में,
सचमुच बहुत मजा आयेगा जीने में।
अपने जख्मों को ही देख नहीं प्यारे,
कुछ औरों के घावों को भी सीता चल!
मौत एक दिन आनी है, आएगी ही;
मगर जहाँ तक चले जिंदगी जीता चल!
(3)
किसी धर्म को खास मानने से तू बच!
मेरा मजहब बड़ा जानने से तू बच!
मतलब रख हर मजहब की अच्छाई से,
बचता रह,उसमें पल रही बुराई से।
देख सके,तो हर इंसाँ में ईश्वर देख!
कुदरत की हर रचना में जगदीश्वर देख!
एक धर्म बस मानवता का असली है,
बाकी सब कुछ आडंबर है,नकली है।
जितने आदर से कुरान तू पढ़ता है,
उसी भाव से प्यारे गाता गीता चल!
मौत एक दिन आनी है, आएगी ही;
मगर जहाँ तक चले जिंदगी जीता चल!
(4)
याद करेगी दुनिया,नेकी कर प्यारे!
साथ जायगा यही,बदी से डर प्यारे!
समझ जिंदगी के मायने, बता सबको;
घोर नरक में जो जी रहे उठा सबको।
जग को दिखला कोई राह सुहानी जा,
ऐसे कुछ कामों की छोड़ निशानी जा;
तेरे बाद यहाँ अपनायें लोग जिसे,
कोशिश कर भी भूल न पायें लोग जिसे।
कोठी,बँगला,कार बहुत ने जोड़ा है,
मेरी मान,छोड़ यह सब तू रीता चल!
मौत एक दिन आनी है, आएगी ही;
मगर जहाँ तक चले जिंदगी जीता चल!
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-गौरव शुक्ल
मन्योरा
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