Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मुझमें अहसास जगाने के लिये आये हैं

 

"मुझमें अहसास जगाने के लिये आये हैं।
वो हमें प्यार सिखाने के लिये आये हैं।

दर्द, खामोशियाँ, बेचैनियाँ जहाँ भर की,
मेरे हिस्से की बँटाने के लिये आये हैं।

कहा हमने, हमें पछताने दो, रोने दो हमें,
बोले हम तुमको हँसाने के लिये आये हैं।

बुत में वो जान डालने का हुनर रखते हैं,
ये जादू हम पे चलाने के लिये आये हैं।

जाने किस बात पे जागी है उन्हें हमदर्दी,
हिसाब कौन चुकाने के लिये आये हैं।

अभी नादान हैं, कमसिन हैं,उन्हें क्या मालूम;
कितना जोखिम वो उठाने के लिये आये हैं।

उनको अंदाज नहीं जख्म  की गहराई का,
जिस पे मरहम वो लगाने के लिये आये हैं।

खुदा उनकी उमर दराज करे, जो मुझ   पे,
बेसबब जान लुटाने के लिये आये हैं।

वो हमको पार लगाने के लिये  आये हैं।
हमें सुकून दिलाने  के लिये आये हैं।
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                            - गौरव शुक्ल
                                 मन्योरा
                          लखीमपुर खीरी 

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