| 9:10 AM (9 hours ago) |
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साथी! यह जग का दस्तूर।
(1)
सुख में साथ सभी देंगे ,
पल पल पर ख़बरें लेंगे ,
दुख में हाल न पूछेंगे,
तब तुम उनके पास गए तो, वे भागेंगे तुमसे दूर।
साथी! यह जग का दस्तूर।
(2)
मतलब का व्यवहार यहाँ,
नैतिकता लाचार यहाँ,
कहाँ मिलेगा प्यार यहाँ,
पैसे के आगे झुक जाती हो इमानदारी मजबूर।
साथी! यह जग का दस्तूर।
(3)
होती है उसकी पूजा ,
जिसका झंडा है ऊँचा,
निर्बल को किसने पूछा?
सब करते हैं यही, किया तुमने तो, इसमें कौन कसूर।
साथी! यह जग का दस्तूर।
-गौरव शुक्ल
मन्योरा
लखीमपुर खीरी
मोबाइल-7398925402
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