Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

1 अगस्त को राजर्षि टंडन के जन्म- जयंती के लिये

 

हिंदी को राजभाषा और देवनागरी को  राजलिपि के पद पर प्रतिष्ठित करवाने वाले स्वतंत्रा सेनानी राजर्षि टंडन की जन्म- जयंती पर शत-शत नमन !


इतिहास में ऐसे नाम होते हैं, जो होते तो वाकई बहुत बड़े हैं, पर जाने बहुत कम जाते हैं ।


राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के ऐसे ही अमिट हस्ताक्षर हैं, जिन्हें दो बातों के लिए जाना जाता है--


पहला - स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान । 


दूसरा - हिंदी के लिए उनका संघर्ष । 


यह उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि तमाम विरोध के बावजूद हिंदी को राजभाषा और देवनागरी को  राजलिपि के रूप में स्वीकार किया गया ।


बनारसीदास चतुर्वेदी लिखते हैं, "हिन्दी का कोई भावी लेखक जब सदी के इतिहास पर प्रकाश डालेगा तो उन्हें तीन लोगों का उल्लेख खास तौर पर करना पड़ेगा : 

1) महर्षि दयानंद 

2) महात्मा गांधी 

        और 

3)राजर्षि टण्डन ।"



गोवर्धन दास बिन्नानी "राजा बाबू"बीकानेर9829129011 / 7976870397





Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ