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एक लोकप्रिय गीतकार का अचानक चले जाना

 

एक लोकप्रिय गीतकार का अचानक चले जाना.

                                                              ( गोवर्धन यादव.)

इतनी शक्ति हमें देना दाता-के गीतकार "अभिलाष जी" अब हमारे बीच में नहीं है. 29-09-2020  के दैनिक भास्कर में आपके निधन की पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया. पैंतीस साल पहले आपने एक गीत लिखा था-" इतनी शक्ति हमें देना दाता , मन का विश्वास कमजोर हो ना."..प्राय़ः देश के सभी स्कूलों में प्रार्थना के रूप में गाया जाता है.

इस गीतकार की मेरी पहली और आखिरी मुलाकात भोपाल स्थित " दुष्यंत कुमार संग्रहालय" में ही हुई थी. संयोग से मैं उस दिन भोपाल में था. जब-जब भी मेरा भोपाल जाना हुआ है, दुष्य़ंत संग्रहालय जाना जरुर होता है. संग्रहालय के निदेशक श्री राजुरकर जी से मेरे अपने गाँव के रिश्ती तो है ही, साथ ही एक साहित्यकार होने के नाते भी आपसे मित्रता है. समयाभाव के कारण यदि जाना संभव नहीं भी हो पाया तो फ़ोन से कुशलक्षेम तो अवश्य ही ले लेता हूँ. 

श्री राजुरकर जी मुझे फ़ोन पर सूचना दी कि दिल्ली से प्रकाशित होने वाली प्रख्यात पत्रिका के " आधुनिक साहित्य" पत्रिका के ख्यातनाम संपादक डा. श्री आशीष कंधवे जी का आज रचना पाठ दोपहर बाद संग्रहालय में रखा गया है. और कार्यक्रम  प्रख्यात साहित्यकार श्री विजय बहादुर सिंह की अध्यक्षता में संपन्न होगा, आप सादर आमंत्रित है. संयोग देखिए कि उस समय मैं हिन्दी भवन भोपाल में पावस व्याख्यानमाला में सहभागिता करने के लिए हिन्दी भवन भोपाल में ही था. बैतूल के साहित्यिक मित्र श्री रामचरण जी यादव को मैंने साथ लिया और हम जा पहुँचे दुष्यंत संग्रहालय. यह बात निर्विवाद सत्य है कि कितना ही बड़ा साहित्यकार क्यों न हो, यदि उसका भोपाल आगमन होता है तो वह अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए दुष्य़ंत संग्रहालय जरुर ही जाता है. प्रख्यात गीतकार अभिलाष जी उन दिनों अपने व्यावसायिक कार्य से भोपाल आए हुए थे और वे उस समय संग्रहालय में पहुँच चुके थे. संग्रहालय के निदेशक श्री राजुरकर जी ने अभिलाष जी का परिचय यह कहते हुए दिया कि आपने ही वह प्रसिद्ध गीत- इतनी शक्ति हमें देना दाता" लिखा है. मेरे लिए यह प्रसन्नता और गौरव की बात थी कि मैं एक अत्यंत ही विनम्र और देश भर में अपनी पहचान बना चुके गीतकार से मिल रहा हूँ. मान. विजयबहादुर जी से मैं पूर्व से ही परिचित रहा हूँ..

यह भी मेरे लिए एक सुखद संयोग था कि डा. श्री आशीष कंधवेजी से मेरी पहली मुलाकात दुष्यंत संग्रहालय के सभाकक्ष में हुई थी. हमने डा. कंधवेजी से उनकी चुनिंदा कविताओं का भरपूर आनन्द उठाया. आपके बाद हम सभी ने बारी-बारी से अपनी रचनाओं का पाठ किया. कार्यक्रम काफ़ी सफ़ल रहा. इस अनोखे कार्यक्रम के समापन के बाद हमने फ़ोटोग्रुप भी लिया था.

इतनी शक्ति हमें देना दाता....मन का विश्वास कमजोर हो ना " गीत के रचयिता कवि अभिलाषा का यह गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि उसे स्कूल से लेकर महाविद्यालयों में तथा सरकारी प्रतिष्ठानों मे प्रार्थना गीत के रुप में गाया जाने लगा. इस गीत की लोकप्रियता ने कवि अभिलाष की लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए.


 

बाएं से दाएं- गोवर्धन यादव, श्री अभिलाष जी, श्री विजयबहादुर सिंह जी( प्रख्यात साहित्यकार/आलोचक), श्री आशीष कंधवे जी (संपादक आधुनिक साहित्य.)

पीछे की पंक्ति- श्री रामचरण यादव.

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बाएं से दाएं- तीसरे क्रम में गोवर्धन यादव, श्री अभिलाषजी, डा,विजयबहाद्दुर सिंह जी, डा.श्री आशीष कंधवेजी ( संपादक-आधुनिक साहित्य)

      (स्व.श्री अभिलाष जी.)


ज्ञात हो कि फ़िल्म निर्माता-निर्देशक श्री एन.चंद्रा और संगीतकार श्री कुलदीप सिंह जी की फ़िल्म "अंकुश" में गीत लिखने के लिए श्री अभिलाषा को आमंत्रित किया गया था. यह बात सन 1985 की है. इसमें उन्हें कुल चार गीत लिखने को कहा गया था. इसमें दो गाने- "ऊपरवाला क्या मांगेगा हमसे कोई हिसाब और "आया मजा दिलदारा" लिखकर दे दिए थे, जिनकी रिकार्डिंग भी हो चुकी थी. चंद्राकर जी ने उन्हें तीसरा गाना प्रार्थना के रूप में लिखने को कहा. वे लगातार तीन-चार मुखड़े लिखकर देते, लेकिन वे उसे अस्वीकार कर देते. इस तरह दो-ढाई महीने तक करीब 60-70 मुखड़े आपने लिखे, लेकिन उनमें से किसी एक भी मुखड़े को चुना गया. आखिरकार आपने तंग आकर फ़िल्म ही छोड़ देने का मन बना लिया और बाहर निकल आए. मगर संगीतकार कुलदीप जी भला कब उनका पीछा छॊड़ने वाले थे. उन्होंने अभिलाष जी से कहा कि- "तुम तो बड़े हिम्मती हो...तुम में शक्ति है...आखिर कमजोर क्यों पड़ रहे हो. आत्मीयता से लबरेज इन दो शब्दों को लेकर श्री अभिलाष जी को मुखड़ा मिल गया था. उन्होंने इस मुखड़े को लेकर जो गीत लिखा- "इतनी शक्ति हमें देना दाता...मन का विश्वास कमजोर हो ना...इस गाने ने पूरे देश में धूम मचा दी. इस प्रार्थना गीत पर तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति स्व.ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें कलाश्री अवार्ड से नवाजा. बाद में वर्ष 2012 में आपको दादा साहेब फ़ाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया था. 

लिवर कैंसर से पीढ़ित श्री ओमप्रकाश कटारिया उर्फ़ अभिलाष जी का 27 सितंबर 2020 को मुंबई में दुखद निधन हो गया. जहाँ एक ओर वे इस गंभीर बिमारी से जूझ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वे इस गम को भी पाले हुए थे कि रिकार्ड तोड़ इस गीत के लिए उन्हें जो रायलटी मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई. इस तरह एक लोकप्रिय गीतकार ने गमगीन होकर इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

                  एक लोकप्रित गीतकार को नमन.

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१०३, कावेरी नगर,छिन्दवाड़ा (म.प्र.) ४८०००१            गोवर्धन यादव





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