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Dr. Srimati Tara Singh
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गणगौर पर्व

 

गणगौर पर्व


भारत के कुछ प्रदेशों में खासकर  राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश में गणगौर [ गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) ] पर्व  होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक, १८  [अठारह ] दिनों तक मनाया जाता है - यह आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। चूँकि, बीते दो साल से कोरोना महामारी के चलते यह उत्सव बन्द कमरे तक सीमित करना पड़ा था इसलिये इस बार सभी जगह पूरे उत्साह व उमंग अर्थात पूर्ण मनोयोग के साथ मनाया जा रहा है।


गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं अर्थात मनपसंद वर पाने की कामना लिये कुँवारी लड़कियां इस पर्व में पूजन के समय कुछ जगह रेणुका की गौर बनाकर तो फिर कुछ जगह विभिन्न तरह की सफेद मिट्टी की आकृति आँककर उसपर मिट्टी के पालसिये में होली की राख की पिण्डोलियाँ बनाकर पूजन करती है। उस पर गुलाल, अबीर, चंदन और टेसू (पलाश) के फूलों के रंग के साथ साथ महावर, सिंदूर और चूड़ी अर्पण करती हैं । फिर चंदन,अक्षत, धूपबत्ती, दीप,नैवेद्य के साथ विधीविधान से पूजन करके भोग लगाया जाता है। 
जबकि विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर -ईसर व भाइया की काष्ठ प्रतिमाओं को आकर्षक वस्त्रों व आभूषण पहना कर पूजन तथा व्रत कर अपने लिए अखंड सौभाग्य,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि की कामना करती हैं।

इसमें आजकल पारम्परिक गीतों के साथ फिल्मी व राजस्थानी लोकगीतों की तर्जों पर गीतों को ताल व लय के साथ साज व संगीत के हिसाब से गाने की परम्परा बढ रही है।
बीते अनेकों सालों से बहुत जगह गणगौर की सवारी निकलती है और उसमें बालिकाओं, महिलाओं के साथ पुरुषों की अच्छी खासी संख्या में भागीदारी रहती है।इसी से सम्बन्धित निम्न कुछ मशहूर आयोजनों के बारे में -
1] कोलकाता में अनेक गणगौर मण्डलियाँ बनी हुयी हैं। ये मण्डलियाँ अपने अपने स्थान पर आदमकद मूर्तियों को पूरे आभूषणों से सुसज्जित कर विधि विधान से पूजा करते हैं और शाम ढलने के समय माता गंगा के तट पर गंगाजल पिलाने ले जाते हैं।उसके बाद, स्वरचित गीतों को संगीतमय स्वरों में नगर भ्रमण के दौरान,सामूहिक गाते हूये अपने अपने स्थान पर पहूँच पूरी श्रद्धा के साथ गणगौर माता को वापस यथा-स्थान विराजित कर देते हैं। 
चूँकि वहाँ पर अनेक मण्डलियाँ बनी हुयी हैं, इसलिये तृतीया के बाद मण्डलियों में आपसी प्रतिस्पर्धा भी आयोजित होती है। इस प्रतिस्पर्धा में संगीत के जानकारों के एक समूह को निर्णायकों की भूमिका में सर्वश्रेष्ठ, श्रेष्ठ इत्यादि घोषित करने को अधिकृत कर उनके समक्ष सभी बारी बारी से अपनी अपनी प्रस्तुति देते हैं। इस कार्यक्रम में सभी मण्डलियों के सदस्यों के अलावा बाहर प्रदेशों से पधारे लोगों के साथ स्थानीय जनता भी बडी तादाद में उपस्थित रहती है। इस तरह यह एक ऐसा आयोजन होता है जिसकी प्रतिक्षा तो सभी को रहती ही है साथ ही इसकी समुचित  तैयारी सभी मण्डलियाँ काफी पहले से ही करने लगती हैं।
2] बीकानेर में भी ढढ्ढों की श्रृंगारित गणगौर आकर्षक का केन्द्र रहती है। चूँकि यह पूरे साल में केवल दो दिन के लिये ही दर्शन-पूजा के लिये चाँदमल ढढ्ढा की हवेली से बाहर चौक में विराजित की जाती है इसलिये इसके दर्शनार्थ देशभर से श्रृद्धालु बडी संख्या में बीकानेर आते हैं।नख से लेकर शिख तक बेशकीमती स्वर्णाभूषणों से सजी होने के कारण पानी पिलाने की रस्म अदायगी भी चौक में ही होती है।इन दो दिनों में यहाँ मेला लग जाता है और इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है जो देर रात तक चलता है।
3] जैसलमेर में पूर्व महारावल परिवार की श्रृंगारित गणगौर आकर्षण का केन्द्र रहती है।चूँकि यह पूरे साल में केवल एक दिन के लिये ही दर्शन-पूजा के लिये सोनार दुर्ग स्थित महल में विराजित की जाती है इसलिये इसके दर्शनार्थ शहर व आस-पास के श्रृद्धालु बडी संख्या में आते हैं।नख से लेकर शिख तक बेशकीमती स्वर्णाभूषणों से सजी होने के कारण पानी पिलाने की रस्म अदायगी भी महल में ही होती है जिसके चलते उस एक दिन यहाँ मेला लग जाता है।

चूँकि लोकपरम्पराओं को जीवित रखने का उत्तरदायित्व  हम सभी का  है और इसी उद्देश्य को ध्यान  में रख हमारे माईतों ने यह त्यौहार, इसी परम्परा से मनाये जाने की शुरुआत हर उस जगह कर दी जहाँ जहाँ वे रोजगार हेतु बसे । यही कारण है कि राजस्थान के हर छोटे बड़े शहर के अलावा पूरे भारत में भी जहाँ जहाँ राजस्थानी बसे हुये हैं वहाँ सब जगह यह त्यौहार आजतक इसी परम्परा से मनाया जाता है भले ही छोटे रूप में ही सही क्योंकि यही वह पर्व है जिसके माध्यम से न केवल हम अपनी लोकपरम्परा को जीवित रख पाने में सफल हो रहे हैं बल्कि हमें अन्यों को भी हमारी परम्परा से अवगत कराने में सफलता आसानी से मिल भी रही है।
गोवर्धन दास बिन्नाणी 'राजा बाबू'IV E 508 जय नारायण व्यास कॉलोनी बीकानेर7976870397 / 9829129011(W)



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