मनीषियों के अनुसार अंजना और केसरी के लाल हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था। इसलिये ही हम सनातनी इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाते हैं जबकि केरल और तमिलनाडु जैसे स्थानों में मार्गशीष माह की अमावश्या को एवं उड़ीसा में वैशाख माह के पहले दिन को मनाया जाता है। । भगवान हनुमानजी को बजरंग बली, केशरी नंदन, पवन कुमार, मारुति नन्दन, संकट मोचन, हनुमत, दुखभंजन, आंजनेय (अर्थात अंजना का पुत्र) आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है।
अब आप सभी को याद दिला दूँ कि बचपन में इनकी शरारत के चलते देवराज इन्द्र को इन पर वज्र से प्रहार करना पड़ गया था। जिसके फलस्वरूप ये बेहोश हो गए थे । इसके बाद वायु देव के दखल देने पर परमपिता ब्रह्माजी इनको होश में लाये और दीर्घायु का वरदान अर्थात युद्ध में हमेशा अजेय रहेगा के साथ सभी ब्रह्मदण्डों से अवध्य, अपनी इच्छानुसार रूप धारण कर जहाँ जैसे विचरण करना चाहेगा कर सकेगा अर्थात अपनी गति पर सम्पूर्ण नियन्त्रण कर सकेगा, का वरदान भी दिया।इसी वरदान को तुलसीदासजी ने निम्न शब्दों में व्यक्त किया - “सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रुप धरि लंक जरावा।।”
इसी क्रम में भगवान बजरंगबली को बाकी देवताओं ने भी अपने अपने आशीर्वाद व वरदान देकर अनुग्रहित किया। जो इस प्रकार है -
भगवान भोलेनाथ ने वरदान दिया कि न केवल मेरे शस्त्रों से बल्कि मेरे से भी अवध्य रहेगा।
भगवान भास्कर ने अपने तेज का सौवां हिस्सा प्रदान करते हुये बताया कि अब इसे शास्त्र अध्ययन की शक्ति मिलेगी और मैं स्वयं शास्त्रों का ज्ञान प्रदान करूँगा जिससे यह न केवल अच्छा वक्ता बनेगा बल्कि कोई भी इसकी समानता नहीं कर पायेगा।
देवराज इन्द्र ने तो इनको आशीर्वाद दे इनके शरीर को वज्र की भाँति कर दिया।
जलदेवता वरूण ने भी आशीर्वचन देते हुये अपने पाश से मुक्ति तो दी ही साथ में हमेशा के लिये जल से मृत्यु मुक्त भी कर दिया।
धर्मराज यम ने अपने दण्ड से अवध्य व हमेशा निरोग रहने का वरदान दिया।
कुबेर देव ने भी वरदान में कहा कि मेरे से कभी भी गदा संग्राम में इसका वध नहीं होगा और इससे युद्ध में कभी भी विवाद होगा ही नहीं अर्थात किसी भी द्वंद्व में किसी से भी पराजित नहीं होने का आशीर्वाद ।
देव शिल्पी ने भी अपने आशीर्वचन में उनके द्वारा बनाये सभी प्रकार के अस्त्रों से अवेध्य के अतिरिक्त चिरंजीवी रहेगा का वरदान दे दिया।
इस प्रकार इतने अवेध्य वरदान प्राप्त कर भगवान हनुमानजी न केवल परम शक्तिशाली बन गये बल्कि उद्धत भाव से विचरण करने लगे जिससे तपस्यारत मुनि गणों की तपस्या बाधित होने लगी।इस कारण अंगिरा और भृगुवंश मुनियों ने कुपित हो, इनको मिले सभी वरदानों को ध्यान में रख, श्राप दिया कि इनको अपना बल प्रयोग के लिये याद दिलाना पड़ेगा।
उपरोक्त के अलावा भगवान हनुमानजी से सम्बन्धित कुछ अन्य रोचक जानकारियाँ यहाँ सांझा कर रहा हूँ --
* जब माता सीता ने इनको "अजर बनो" वरदान प्रदान किया तब उन्हें हनुमानजी के मुख पर प्रसन्नता नहीं दिखी। इसलिये उन्होंने दूसरा वरदान "अमर रहो" का दिया।लेकिन फिर भी हनुमानजी खुश नहीं दिखाई दिये। तब तीसरे वरदान में "तुम गुणों की निधि होओगे...गुननिधि सुत होहू" लेकिन अभी भी उनके मुख पर प्रसन्नता नहीं देखने मिली तब माता समझ गयीं और कहा - "अजर,अमर,गुणनिधि वाले वरदान तो है ही लेकिन जाओ, मेरा आशीर्वाद है कि प्रभु श्रीरामजी का तुम्हारे ऊपर असीम प्रेम रहेगा"। इतना सुनते ही वे प्रसन्न हो गये और बोल पड़े माता मुझे यही तो चाहिये था।
* हनुमानजी एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें रावण वध के लिये लड़े गये संग्राम में किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुँची थी।
* जैसा आप सभी जानते हैं सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियाँ हैं जबकि भगवान हनुमानजी जी स्वयं की शक्ति से संचालित हैं।
* सनातन वैदिक धर्मानुसार हनुमान जी इस पृथ्वी में कलयुग के अंत होने तक निवास करेंगे ।
* भगवान हनुमानजी सहित भृगुपति परशुरामजी, द्रोण पुत्र अश्वत्थामा, महर्षि विश्वामित्र, सन्त विभीषण और राजा बलि ये सभी एकसाथ कल्कि अवतार पर, पृथ्वी पर सबके सामने प्रगट होंगे।
* कृपया ध्यान रखियेगा कलियुग में भैरवबाबा , कालीमाता, अम्बेमाता के साथ भगवान हनुमानजी को भी जागृत देव माना गया है अर्थात इनको ध्याने व विनती करने से ये बिना विलम्ब किये सहायता करते हैं।
उपरोक्त वर्णित सभी तथ्यों पर विवेचना का सार यही है कि कलयुग में संकटमोचन हनुमानजी की आराधना से हम सभी अपने सारे कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।वे जागृत देवता हैं इसलिये सच्चे मन से प्रार्थना करने पर न केवल सहायता करेंगे बल्कि आवश्यकता होने पर दर्शन देकर कृतार्थ भी कर देते हैं । आप सभी के ध्याननार्थ १३वीं शताब्दी में माधवाचार्यजी, १६वीं शताब्दी में तुलसीदासजी, १७ वीं शताब्दी में राघवेंद्र स्वामी तथा २० वीं शताब्दी में रामदासजी , ये सभी भगवान हनुमानजी के साक्षात दर्शन का दावा कर इस अजर-अमर तथ्य को प्रमाणिकता प्रदान करते हैं। इसके अलावा महाबली भीम और गाण्डीवधारी अर्जुन को द्वापर युग में भी भगवान हनुमानजी के दर्शन का लाभ मिला है।
अन्त में,जैसा आप सभी जानते हैं भगवान हनुमानजी अतिबलशाली, बुद्धिमान के साथ साथ न केवल महाज्ञानी और व्यवहारकुशल बल्कि धैर्यवान भी थे।एक वृत्तांत अनुसार जब प्रभु श्रीरामजी से किसी को मृत्यु से बचाने हेतु सामना हुआ तो अपने आराध्य पर शस्त्र उठाने के बजाय उन्होंने प्रभु श्रीरामजी का नाम ही जपना शुरू कर, सफलतापूर्वक उस समस्या पर विजयश्री प्राप्त कर ली।इस तरह "राम से बड़ा राम का नाम " वाले महामन्त्र के प्रभाव के कारण बडी ही आसानी से सफलता प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित भी कर दिया।
इसी तरह हमें भी बिना विचलित हुये अपने कार्य को भगवान हनुमानजी की तरह सम्पादित करने की प्रवृत्ति को विकसित करने का प्रयास करते रहना चाहिये जैसे भगवान हनुमानजी【 एकमात्र ऐसे देवता हैं जो 】समस्या से परेशान,विचलित तो होते ही नहीं हैं बल्कि पूरे शान्त चित्त से प्रभु श्री रामजी का नाम लेकर समाधान की ओर ध्यान लगाते हैं और अन्त में हमेशा सफल होते रहे हैं।
गोवर्धन दास बिन्नाणी "राजा बाबू"
IV E 508,जय नारायण व्यास कॉलोनी,
बीकानेर
7976870397 / 9829129011[W]
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